तेरे बिन लादेन....

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ओसामा तुम नहीं रहे. जाने के बाद कितने याद आओगे ये नहीं पता लेकिन जाते जाते कई लोगों को बेरोज़गार और दुःखी ज़रुर कर गए हो.
अमरीका से लेकर अफ़गानिस्तान तक और ऑस्ट्रेलिया से लेकर पाकिस्तान तक. यहां तक कि भारत में भी सारे पत्रकार दुःखी हैं. कई सारे देश और नेता भी दुःखी हैं.

पत्रकार दुःखी हैं कि अब कौन टेप भेजेगा जिसे छाप छाप कर नौकरी बचाई जाएगी.कहां जाएंगे वो बेसिर पैर विश्लेषण के दिन और आतंकवाद विशेषज्ञ की उपाधियां. कहां जाएंगे वो दिन जब कुछ नहीं होने पर लादेन के नाम का वीडियो लेकर आधे आधे घंटे का कार्यक्रम बना लिया करते थे.

हम आज भले ही खुश हैं कि बहुत काम है लेकिन हमें पता है आने वाले दिन बड़े ख़राब होने वाले हैं. हमें भी अब दौड़ना पड़ेगा ख़बरों के लिए. तुम थे तो स्टूडियो में बैठ कर लाइव कर दिया करते थे. कि तुमने फलां फलां कहा और फलां फलां चीज़ चाहते थे.

तुम महान थे लादेन तुमने कभी पत्रकारों की बात नहीं काटी.
अभी तुम्हारी मौत को 12 घंटे भी नहीं हुए और क्या नौबत आ गई. एक चैनल को एक फ़िल्म (तेरे बिन लादेन) के हीरो से प्रतिक्रिया लेनी पड़ी कि तुम्हारी मौत पर उसको कैसा लग रहा है.

दुःखी पाकिस्तान भी हैं. कहते तो सब थे लेकिन अब पक्की बात हो गई कि देश में क्या हो रहा है इसका पता ज़रदारी से पहले ओबामा को होता है. पहले सिर्फ़ रेमंड डेविस घूम घूम कर गोलियां मार रहा था अब तालेबान भी घूम घूमकर पूरे पाकिस्तान में गोलियां चलाएंगे.

सुना है तालिबान वाले कह रहे हैं अब हमारा दुश्मन नंबर एक अमरीका नहीं बल्कि पाकिस्तान है. लीजिए ज़रदारी साहब और कियानी साहब आपके लिए और काम, जिसके पैसे अमरीका भी नहीं देगा.

टीवी पर बराक ओबामा घोषणा करते खुश दिखे होंगे लेकिन उनको भी पता है लादेन को मारने के बाद मुश्किल बढ़ गई है. अब उनको भी विकास के काम करने होंगे. मंदी से डराने के लिए लादेन का भूत नहीं मिलेगा. अगले चुनावों में अमरीका की जनता अफ़गानिस्तान से सेना वापस बुलाने की मांग करेगी.

वैसे ओबामा साहब तो वादा कर के मुकर जाते हैं. ग्वांतानामो बे बंद करने का वादा था. देखें लादेन के मरने के बाद जनता को क्या जवाब देंगे.

इसी बात से हामिद करज़ई भी दुःखी हैं. अमरीकी और नैटो सेना चली गई तो उनके प्रशासन का क्या होगा. शांति की बात कर रहे हैं लेकिन उनको पता है शांति तो सेना के साथ रहती है. उनकी बात ही नहीं मानती. उनकी शांति तो भारत की कामवाली बाई जैसी है जब मन छुट्टी ले लेती है.

तो इंतज़ार कीजिए एक और हौव्वे का ताकि सबकी रोज़ी चल सके. काम नहीं करने वालों को कुछ तो करना पड़े.

ऊफ्फ...तुम क्यूँ गए लादेन?
सुशील झा | सोमवार, 02 मई 2011, 21:44 IST
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